

पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता निलंबित
पाकिस्तानी नागरिक अब सार्क वीजा छूट स्कीम के तहत जारी वीजा के आधार पर भारत नहीं आ पाएंगे।
यहाँ तक की इस स्कीम के तहत जारी वीज़ा पर भारत आए हुए पाकिस्तानियों को 48 घंटों में भारत छोड़ना होगा।
पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य सलाहकारों को अवांछित (पर्सोना नॉ ग्रेटा) व्यक्ति करार देकर एक हफ़्ते के भीतर भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।
ये नया भारत है ,
अब जवाब शब्दों से नहीं, फैसलों से दिया जाएगा!
पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों की चिता की आग अभी ठीक से ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक ने एक के बाद एक निर्णायक
फ़ैसले कर अपना इरादा साफ़ कर दिया है।
ये सच है कि जो चला गया वो वापस नहीं आएगा। पीड़ित परिवारों का दर्द तो शायद ही कोई कम कर सकता है लेकिन इन फ़ैसलों से उनके दिलों को कुछ ठंडक ज़रूर मिली होगी। GSL tv news channel भी पहलगाव में हुए आतंकी हमले में पीड़ित परिवारों के संग है व परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करता है।
विस्तार से जानिए। जल समझोता क्या है
दरअसल, सिंधु जल समझौता यानी Indus Waters Treaty भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक जल समझौता है, जो 1960 में हुआ था। इसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने साइन किया था और इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस समझौते का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह के विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना था।
सिंधु नदी प्रणाली में कुल 6 प्रमुख नदियां हैं-
सिंधु
झेलम
चेनाब
रावी
ब्यास
सतलुज
समझौते के तहत जल का बंटवारा
पश्चिमी नदियां: सिंधु, झेलम, और चेनाब का जल अधिकार पाकिस्तान को मिला।
पूर्वी नदियां: रावी, ब्यास और सतलुज का जल अधिकार भारत को मिला।
भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित इस्तेमाल की अनुमति है, जैसे-
सिंचाई
घरेलू इस्तेमाल
जल को बिना रोक कर रखे बिजली उत्पादन
क्या होगा पाकिस्तान पर असर?
यह पहला मौका है जब भारत ने सिंधु जल समझौता पर रोक लगाया है। पाकिस्तान की करीब 80% कृषि सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है। सिंधु जल समझौते पर भारत के रोक लगाने पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न होगा और इसका असर कृषि पर पड़ेगा। वहीं, सिंधु नदी से जुड़े कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान में हैं। ऐसे में जल की कमी से इनका उत्पादन प्रभावित होगा और ऊर्जा संकट गहराएगा, जो पाकिस्तान में पहले से ही एक बड़ी समस्या है। वहीं, पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों में लाखों लोग इस नदी प्रणाली पर पीने के पानी के लिए निर्भर हैं।